गुरुवार, 27 सितंबर 2012

आखिर कब तक हम

आखिर कब तक हम अपने पूर्वजों द्वारा,

रोपित फसल ही खाते रहेंगे,

आखिर कब तक हम उनके अच्छे कार्यों की,

बस जय जय कार लगते रहेंगे,

महाराणा ,पृथ्वी,कुंवर सिंह, और बहुत से बड़े हैं नाम,

देश और कौम की खातिर,त्याग दिए जिन्होंने प्राण,

हाँ, उनकी जय जय कार लगाने में है हम सबकी शान,

पर आज का ये युग अब फिर मांग रहा हमसे बलिदान,

आखिर कब तक आपस में लड़ लड़ कर ,


अपना सम्मान लुटवाते रहेंगे,

आखिर कब तक हम आपसी फूट के कारण,

अपना सर्वस्व गंवाते रहेंगे,,

अब तो जागो मेरे रणबांकुरों,तुम ऐसा कुछ कर जाओ,

उनकी जय जय कार करो,अपनी भी जय करवाओ,

जैसे हम उनके वंशज करते सम्मान से उनको याद,

उसी तरह सम्मान करें हमारा, सब इस जग से जाने के बाद ,

हम सब मिलकर ''अमित'' कर जाएँ ऐसा कारनामा,

जिस से सारे गर्व से बोलें ''जय जय वीर राजपूताना''