उसूलों पे जो आंच आये तो टकराना जरुरी है
जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नज़र आना जरुरी है
थके हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटे
सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है खुदा है तो नजर आना जरुरी है
मेरी होंठों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो
के इसके बाद भी दुनिया मे कुछ पाना जरुरी है
जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नज़र आना जरुरी है
थके हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटे
बहुत बेबाक आँखों मे ताल्लुख टिक नहीं पता
महोब्बत मे कशिश रखने को शरमाना जरुरी है
सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है खुदा है तो नजर आना जरुरी है
मेरी होंठों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो
के इसके बाद भी दुनिया मे कुछ पाना जरुरी है